प्रवरसेन दुसरा
Appearance
प्रवरसेन दुसरा | |
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राज्य कारकीर्द | c. ४०० – c. ४१५ इ.स. |
उत्तराधिकारी | नरेंद्रसेन |
House | वाकाटक राजवंश |
वाकाटक राजवंश २५०-५०० इ.स. | |
विंध्यशक्ती | (२५०–२७०) |
प्रवरासेन पहिला | (२७०–३३०) |
प्रवरापुर – नंदीवर्धन शाखा | |
रुद्रसेन | (३३०-३५५) |
पहिला पृथ्वीसेन | (३५५–३८०) |
रुद्रसेन दुसरा | (३८०–३८५) |
प्रभावतीगुप्त (रीजेन्ट) | (३८५-४०५) |
दिवाकरसेन | (३८५–४००) |
दामोदरसेन | (४००–४४०) |
नरेंद्रसेन | (४४०-४६०) |
पृथ्वीसेन दुसरा | (४६०–४८०) |
वत्सगुल्मा शाखा | |
सर्वसेन | (३३०-३५५) |
विंध्यसेन | (३५५–४००) |
प्रवरसेन दुसरा | (४००–४१५) |
अज्ञात | (४१५–४५०) |
देवसेन | (४५०-४७५) |
हरिसेन | (४७५–५००) |
प्रवरसेन दुसरा (राज्यकाल: इ.स. ४०० - इ.स. ४१५) हा भारताच्या वाकाटक राजवंशाचा राजा होता. तो रुद्रसेन (दुसरा) आणि गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त IIची कन्या प्रभावतीगुप्त यांचा मुलगा होता. प्रव्रसेनच्या वडिलांच्या लवकर झालेल्या मृत्यूमुळे प्रभावतीगुप्ताने त्यांचे पुत्र दिवाकरसेन, दामोदरसेन आणि प्रवरासेन हे सर्व अल्पवयीन मुले असल्यामुळे दीर्घकाळ राज्य केले. राज्याभिषेक करण्यापूर्वी राज्याचा राजा दिवाकरसेन मरण पावला आणि म्हणून दामोदरसेन व प्रवरासेन राजे बनले. प्रवरासेनच्या मृत्यू नंतर कदाचित उत्तराधिकारी संघर्ष झाला ज्यामध्ये नरेंद्रसेन विजयी म्हणून उदयास आले असावे. [१]
बहुतेक ज्ञात वाकाटक शिलालेख प्रवरासेनाच्या कालखंडातील आहेत. प्राकृत भाषेतील सेतुबंध किंवा रावनवाहो देखील प्रवरसेन कृत आहेत. [१]
संदर्भ
[संपादन]- ^ a b Singh, Upinder (2009). A history of ancient and early medieval India : from the Stone Age to the 12th century. New Delhi: Pearson Longman. pp. 482–484. ISBN 978-81-317-1677-9. 10 August 2016 रोजी पाहिले.