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(८) निदर्शना--गनिका--कहिए
विशेष-व्राह्मोपचार एवं मतवाद का विरोध अभिव्यक्त है।तुलना करे- (१) श्रुति सम्मत हरि भक्ति-पथ सन्जुत विरति विवेक। ते परिह्र्रहि विमोह बस कल्पोहि पन्थ अनेक। (गोस्वामी तुलसीदास)
(२)गुरु की महिमा का प्रतिपादन है। (३)सोइ सोइ जागे।तुलना कीजिए- रात गंवाइ सोइ कर दिवस गंवाओ खाय। हीरा जनम अमोल का कौडो बदले जाय। (कबीरदास) मोहि मुढ मन बहुत बिगोयो। x x x x दासत हो गई वीति निसा सब,कबहु न नाथ नीद भरि सोयो। (गोस्वामी तुलसीदास) (४)खोजत जोणी । तुलना कीजिए- सन्मुख होहि जीव मोहि जबही । जन्म कोटि अघ नासहि तबही। (गोस्वमी तुलसीदास)
(१३९) भूली मालिनी, हे गोव्यद जागतौ जगदेव,तू करै किसकी सेब॥टेक॥ भूली मालनि पाती तोडै,पाती पाती जीब । जो मूरति कौ पाती तोडै,सो मुरति नर जीव ॥ टांचणहारे टान्चिया,दै छाती ऊपरि पाव । जे तू मूरति सकल है,तौ घड़णहारे कौ खाव ॥ लाडू लावण लापसी,पूजा चढै अपार । पूजि पूजारा ले गया,दे मुरति कै मुहि छार ॥ पाती ब्रह्मा पुहपे बिष्णु,फुल फल महादेव । तीनि देवी एक मूरति,करे किसकी सेब ॥ एक ना भूला दोइ न भूला,भूला सब संसारा ॥ एक न भूला दास कबीर जाके रांम अघारा ।