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सिपिंग

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सिपिंग (चीनी: 四平), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पश्चिम में जिलिन प्रांत का एक शहर है। सोंग्लियाओ मैदान के मध्य में और जिलिन, लिओनिंग और इनर मंगोलिया के बीच में स्थित, सिपिंग 14,323 वर्ग किमी (5,530 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है। 2015 की जनगणना में, सिपिंग की कुल जनसंख्या 33.8 लाख थी जबकि शहरी जनसंख्या 680,600 थी।[1]

सिपिंग का इतिहास 3000 वर्ष पूर्व शांग राजवंश के समय से पढ़ा जा सकता है। यान साम्राज्य के खण्डरों से ये संकेत मिलते है कि हान चीनी लोग वसंत और शरद ऋतु की अवधि के दौरान चीन के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जाने लगे थे। फुयू, गोगुरियो, खितान, जुर्चेन, मंगोल, मंचू और कोरियाई जैसी प्राचीन जातीय जनजातियों ने सांस्कृतिक कलाकृतियों छोड़ी हैं जिनसे हमे सिपिंग शहर के बारे में ज़रूरी प्रमाण मिलते हैं। इनमे हनझोउ, शिनझोउ और येह जनजातियों कि सांस्कृतिक कलाकृतियां भी शामिल हैं। सिपिंग में येहे टाउन किंग राजवंश की दो रानिओं, महारानी डोवेगर सिक्सी और महारानी डोवेगर लोंग्यु, का गृहनगर भी था।[2]

हालांकि, 1902 में चांगचुन और डालियान बंदरगाह के बीच रेलवे के पूरा होने तक सिपिंग का महत्व बहुत कम था। परन्तु उसके उपरांत तेजी से बढ़ती आबादी के साथ, सिपिंग एक क्षेत्रीय वाणिज्यिक केंद्र बन गया है। 1907 के बाद, दक्षिण मंचूरिया रेलवे कंपनी के प्रशासन के तहत सिपिंग की अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हुई। उत्तर-पश्चिमी जिलिन प्रांत में बाइचेंग से जुड़ी एक रेलवे का निर्माण 1923 में पूरा हुआ, जबकि दक्षिण में तोंगहुआ और कोरियाई प्रायद्वीप तक चलने वाली एक रेलवे 1939 में बनाई गई थी। 1921 के बाद एक नया शहर बनाया गया था, जिसका नाम सुपिंगकाई था। 1932 के बाद, मंचूरिया के जापानी आक्रमण के समय, सिपिंग में शराब बनाना, तेल बनाना और आटा पिसाई सहित कुछ कृषि आधारित उद्योग में वृद्धि हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तरार्ध में, जापानियों ने कोयले से सिंथेटिक पेट्रोलियम के उत्पादन के लिए एक रिफाइनरी के निर्माण की एक प���ियोजना पूरी की।[3][4]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "Achieving and Sustaining Institutional Excellence for the First Year of College     (review)". The Journal of General Education. 55 (3): 273–276. 2006. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1527-2060. डीओआइ:10.1353/jge.2007.0005.
  2. Profiles of China Provinces, Cities and Industrial Parks
  3. Harold M. Tanner. The Battle for Manchuria and the Fate of China: Siping, 1946. Twentieth-Century Battles Series. Bloomington: Indiana University Press, 2013. 288 pp, ISBN 978-0-253-00723-0; review by Johnny Spence, H-War, H-Net Reviews. January 2014
  4. 吉林省四平市志编纂委员会 [Siping, Jilin (1993). 四平市志. 吉林人民出版社 [Jilin People's Press]. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 7-206-01824-6.