बहराइच
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बहराइच Bahraich | |
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बहराइच घंटाघर | |
निर्देशांक: 27°34′30″N 81°35′38″E / 27.575°N 81.594°Eनिर्देशांक: 27°34′30″N 81°35′38″E / 27.575°N 81.594°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | बहराइच ज़िला |
ऊँचाई | 126 मी (413 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,86,223 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 271801 |
दूरभाष कोड | +91-5252 |
वाहन पंजीकरण | UP-40 |
बहराइच भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। [1][2]
विवरण
[संपादित करें]बहराइच पूर्व-मध्य उत्तर प्रदेश और नेपाल के नेपालगंज व लखनऊ के बीच रेलमार्ग पर स्थित है। तहसील और 14 विकास खंड (ब्लाॅक) हैं। जनपद ने स्वतंत्रता आंदोलनोंं में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया है। महाराजा सुहेलदेव की गौरवगाथा इसी मिट्टी पर घटित हुई।
भूगोल
[संपादित करें]बहराइच देवीपाटन मंडल के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह 28.24 से 27.4 अक्षांश और 81.65 से 81.3 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। 1991 के जिले के इलाके के अनुसार यह 4696.8 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। बहराइच जिला के उत्तरी भाग पर नेपाल के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इसके दक्षिण में बाराबंकी और सीतापुर जिला, पश्चिम में खीरी और गोंडा जिला और पूर्वी हिस्से में श्रावस्ती जिला स्थित हैं। जिले का उत्तरी भाग ताराई क्षेत्र है जो घने प्राकृतिक वन से ढ़का हुआ है। चकिया, सुजौली, निशंगरा, मिहिनपुरवा, बिची और बाघौली जिले के मुख्य वन क्षेत्र हैं। सरजू और घाघरा, जिले की प्रमुख नदियां हैं। इसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 126 मीटर (413 फीट) है।
बहराइच में अप्रैल से जुलाई तक गर्म ग्रीष्मकाल के साथ गर्म आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु होती है। बारिश का मौसम जुलाई से मध्य सितंबर तक होता है जब बहराइच में दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं से औसत वर्षा होती है, और कभी-कभी जनवरी में ललाट वर्षा होती है। सर्दियों में अधिकतम तापमान 25°C (77°F) और न्यूनतम -1 से 7°C (30 से 45°F) सीमा तक होता है। दिसंबर के अंत से जनवरी के अंत तक कोहरा काफी आम है। ग्रीष्मकाल 40 से 47°C (104 से 117°F) सीमा तक के तापमान के साथ अत्यधिक गर्म होता है, औसत उच्च 30 डिग्री सेल्सियस के उच्च स्तर पर होता है। औसत वार्षिक वर्षा 1,900 सेंटीमीटर (750 इंच) होती है।
जनसांख्यिकी
[संपादित करें]2001 की जनगणना के अनुसार बहराइच नगर की जनसंख्या 186,223 थी, जिनमें 97,653 पुरुष थे और 88,570 महिलाएं थीं। और ज़िले की कुल जनसंख्या 23,84,2439 है। 0 से 6 वर्ष की आयु के भीतर जनसंख्या 24,097 थी। बहराइच में साक्षरता 64.2% (कुल संख्या 119,564) है, जिसमें पुरुष साक्षरता 66.5% और 61.7% महिला साक्षरता थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी क्रमशः 9,584 और 170 थी। बहराइच में 2011 में 30460 घर थे।[3]
2011 में, बहराइच की जनसंख्या 3,487,731 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएँ क्रमशः 1,843,884 और 1,643,847 थीं। 2024 में बहराईच जिले की अनुमानित जनसंख्या 5,290,000 है |[4]
इतिहास
[संपादित करें]बहराइच के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की राजधानी था ब्रहमाइच का अपभ्रंश बहराइच है। एक अन्य मान्यता के अनुसार भर जातियों के निवास स्थान के कारण इस क्षेत्र को भराइच या बहराइच कहा जाने लगा बहराइच भरो के राजा महाराजा सुहेलदेव की राजधानी रहा है। बहराइच महर्षि बालार्क की तपोस्थली रहा है। जिसपर बाद में फ़क़ीर सैयद सालार मसूद गाजी रहने लगे बहराइच का एक शानदार अतीत रहा है जो प्राचीन काल से है। मौर्य काल में यह शहर बौद्ध संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र था। यह मुगल साम्राज्य का भी एक हिस्सा था और 18वीं शताब्दी में अवध के नवाबों द्वारा शासित था। 1801 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शहर पर नियंत्रण कर लिया था बहराइच किसान आंदोलन का बड़ा केंद्र रहा है मदारी पासी के नेतृत्व में एका आंदोलन का केंद्र रहा है बहराइच हजरत गाज़ी सय्यद सलार मसूद गाज़ी और सुहेल देव के युद्ध इसी बहराइच की सरज़मीन पर हुई थी। महाराजा सुहेलदेव बहराइच के एक न्यायप्रिय शासक थे जिनका युद्ध अफगान सूबेदार तथा फकीर सैयद सालार मसूद गाजी से हुआ जिसमें मसूद गाजी बुरी तरह परास्त और सुहेलदेव ने मसूद गाजी को मार कर अपने राज्य को सुदृढ़ किया बहराइच सोलह महाजनपद के समय कोसल महाजनपद का अंग था उस समय कोसल की राजधानी श्रावस्ती थी जो बहराइच का ही विस्तार है।
संस्कृति
[संपादित करें]बहराइच में एक विविध संस्कृति है जो हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध परंपराओं से प्रभावित है। यह शहर अपने अनोखे त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है। बहराइच में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक सैय्यद सालार मसूद गाज़ी का मेला है, जो सालाना जेठ के महीने में आयोजित किया जाता है। इस मेले में देश और दुनिया के कोने कोने से सभी धर्मों के लोग आते हैं।
बहराइच जिले की तहसीलें और ब्लाॅक
[संपादित करें]- तहसीलें
बहराइच, कैसरगंज, (तहसील), बहराइच, नानपारा, (तहसील), बहराइच, महसी (तहसील), बहराइच, पयागपुर।
- ब्लाॅक
रिसिया, चित्तौरा, हुजूरपुर, शिवपुर, महसी, फखरपुर, जरवल, पयागपुर, कैसरगंज, तजवापुर, नवाबगंज, मिहींपुरवा, विशेश्वरगंज,, बलहा।
अर्थव्यवस्था
[संपादित करें]- व्यापार
बहराइच नेपाल के साथ होने वाले व्यापार जिनमें कृषि उत्पाद और इमारती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहाँ चीनी की मिलें भी हैं। बहराइच की लंबी सीमा नेपाल के साथ लगती है। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र है। बहराइच के रुपईडीहा चेकपोस्ट से भारत और नेपाल के बीच व्यापार का आदान-प्रदान होता है। बहराइच का उत्तरी भाग जंगलों से ढंका है जहां शीशम, सागवन ,साखू, असना की कीमती लकड़ी मिलती है। बहराइच की मिट्टी बेहद उपजाऊ है तथा घाघरा, राप्ती, गिरवा आदि नदियों की कांप मिट्टी से बना है। इसलिए अनाज एवं सब्जियों की पैदावार खूब होती है पर्याप्त बुनियादी ढांचा का विकास न होने के कारण सब्जियों और अनाजों का प्रसंस्करण नही हो पाता है। गन्ना बहराइच की एक मात्र व्यावसायिक फ़सल है। बहराइच में बड़े उद्योग धंधों का अभाव है यद्यपि बहराइच लखनऊ से बहुत नज़दीक है लेकिन विकास की परिधि से काफी दूर है।बहराइच में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य जिले का प्रमुख वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। जिसमें, बाघ , हिरन नील गाय, लकड़बग्घा, अजगर, विभिन्न प्रकार के सांप, गिरवा नदी में घड़ियाल प्रजनन स्थलों का विकास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त महाराजा सुहेलदेव से संबंधित चित्तौरा झील को सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। घाघरा पर बना चहलहारी घाट पुल लोगों अपनी ओर बरबस खींचता है। शासन एवं प्रशासन से पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण बहराइच नीति आयोग के संरक्षण में है। प्रशासनिक भ्रष्टाचार जिले के विकास में बाधक है।
- कृषि
इसके आसपास के कृषि क्षेत्र में गन्ना, केला ,धान, मकई, गेहूँ और चना (सफ़ेद चना) उगाया जाता है। यहां गन्ना भी मुख्य रूप से उगाया जाता है। बहराइच की एक मात्र नगदी फसल गन्ना है । बहराइच में चिलवरिया में सिंभावली की चीनी मिल है इसके साथ -साथ बजाज तथा पारले की भी चीनी मिलें हैं। चीनी मिलों की दोषपूर्ण व्यवस्था से भुगतान समय पर नही हो पाता है जो एक बड़ी समस्या है। बहराइच में डेयरी उद्योग की अपार संभावनाएं हैं जिसका दोहन किया जाना बाकी है। डेयरी कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ी है और किसानों की आय में इजाफा हुआ हे।
यातायात
[संपादित करें]रोड
[संपादित करें]बहराइच उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। UPSRTC लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, बरेली, हरिद्वार, दिल्ली, बलरामपुर, गोंडा, बाराबंकी, प्रतापगढ़, शिमला, मथुरा, बांदा, जौनपुर, गोरखपुर, वाराणसी, श्रावस्ती और आगरा को सड़क संपर्क प्रदान करता है। हर 15 मिनट में लखनऊ के लिए बसें हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 927 (भारत) शहर को बाराबंकी और राज्य की राजधानी लखनऊ से जोड़ता है।
रेल
[संपादित करें]बहराइच रेलवे स्टेशन बहराइच जिले, उत्तर प्रदेश में एक मुख्य रेलवे स्टेशन है। इसका कोड BRK है। यह बहराइच शहर में कार्य करता है। स्टेशन में 3 प्लेटफ़ॉर्म, दो ब्रॉड गेज के लिए और एक मीटर गेज के लिए है। बहराइच से जरवल रोड जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर (34 मील) की दूरी पर ब्रॉड गेज स्टेशन है और दिल्ली-बरौनी लाइन पर स्थित है।[5] बहराइच - गोंडा पटरियों को ब्रॉड-गेज में परिवर्तित करने की योजनाएँ अक्टूबर 2018 से योजना में हैं।[6][7] बहराइच से खलीलाबाद के बीच 240 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन के निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है। जिसका निर्माण 2026 तक पूरा किया जाना है। इसके साथ ही बहुप्रतीक्षित जरवल से बहराइच के बीच 57 किलोमीटर की नई रेललाइन बिछाने के लिए भी सर्वे कार्य अंतिम चरण में है जिसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
दर्शनीय स्थल
[संपादित करें]- दरगाह शरीफ - हजरत गाज़ी सय्यद सलार मसूद गाज़ी एक प्रसिद्ध ग्यारहवीं शताब्दी का इस्लामिक कट्टरपंथी और विदेशी आक्रांता था जिसकी दरगाह शहर में मौजूद है। उनकी दरगाह मुसलमानों के लिए समान रूप से श्रद्धा का स्थान है। जिसे फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। ग्यारहवीं शताब्दी में महाराजा सुहेलदेव ने विभिन्न आस पड़ोस के राजाओं के साथ एक संयुक्त सैनिकों का गठन किया और फिर गाजी की सेना को परास्त किया। जिस स्थान पर गाजी का सिर कलम किया वह शहर के बीचों-बीच घण्टाघर पर मज़ार(खंजर शहीद बाबा) के नाम से विख्यात है बहराइच की लड़ाई में सुहेलदेव ने 21 पासी राजाओं का गठबंधन बनाकर सैयद सालार मसूद गाजी को युद्ध में शिकस्त दी। इन राजाओं में बहराइच, श्रावस्ती के साथ ही लखीमपुर, सीतापुर, लखनऊ और बाराबंकी के राजा भी शामिल थे। हिंदू संगठनों के दावे के मुताबिक 1033 ईसवी में मसूद गाजी और सुहेलदेव की सेनाओं में बहराइच में भीषण जंग हुई। इस युद्ध में घायल मसूद मरणासन्न अवस्था में पहुंच गया और बाद में उसकी मौत हो गई। उसके साथियों ने बहराइच में मसूद की बताई जगह पर ही उसे दफना दिया। बाद में वहां मजार बनी और दिल्ली के सुल्तानों के दौर में यह दरगाह के रूप में मशहूर होती चली गई। दरगाह पर वार्षिक उत्सव (विजय उत्सव) के रूप में मनाया जाता है जिसे देश के दूर-दराज के स्थानों से आने वाले हजारों लोग शामिल होते हैं।
- सिद्धनाथ मंदिर पांडव कालीन मंदिर है जो बहराइच शहर के बीचोबीच स्थित है। यहाँ वर्ष में 2 बड़े उत्सव - भाद्रपद में कजरीतीज और होली से पहले महाशिवरात्री मनाए जाते हैंं। इनमेंं दूर-दूर से भक्त कांवर यात्रा ले कर आते है और जलाभिषेक करते हैंं।
- चित्तौरा नदी के किनारे एक भव्य पर्यटन पार्क बनाया जा रहा है।
- जामा मस्जिद- जामा मस्जिद जो बहराइच के काजीपुरा मे स्थित है यहाँ हज़ारो की संख्या में लोग शुक्रवार को एक साथ नमाज़ अदा करते हैं। यह बहराइच के मध्य में स्थित एक प्राचीन मस्जिद है। मस्जिद 16वीं शताब्दी में बनाई गई थी, और यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
- इन्द्रा उद्यान कपूरथला पार्क
- घंटाघर
- मरी माता मंदिर -यूपी में बहराइच शहर के उत्तरी छोर पर बहराइच-लखनऊ हाईवे के पास सरयू नदी के तट पर स्थित मारी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. नवरात्र में ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के श्रद्धालु मंदिर में पूजा-अर्चना व पूजा-अर्चना में जुटे हुए हैं. इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार को मंदिर में पूजा के लिए भीड़ उमड़ती है।
- कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य - कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश , भारत में ऊपरी गंगा के मैदान में एक संरक्षित क्षेत्र है और बहराइच जिले के तराई में 400.6 किमी 2 (154.7 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1987 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के दायरे में लाया गया और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर यह दुधवा टाइगर रिजर्व बनाता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी। कतर्नियाघाट वन भारत में दुधवा और किशनपुर के बाघ आवासों और नेपाल में बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान के बीच रणनीतिक संपर्क प्रदान करता है। इसके नाजुक तराई पारिस्थितिकी तंत्र में साल और सागौन के जंगल, हरे-भरे घास के मैदान, कई दलदल और आर्द्रभूमि शामिल हैं। यह कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, जिनमें घड़ियाल, बाघ, गैंडे, गंगा की डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिस्पिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबे चोंच वाले गिद्ध शामिल हैं। गिरवा नदी अपने प्राकृतिक आवास में घड़ियाल को देखने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जहां यह लुटेरे के साथ सहानुभूतिपूर्ण पाई जाती है। इस खंड में घड़ियालों की आबादी उन तीन में से एक थी जो अभी भी प्रजनन कर रहे थे, जब इस सरीसृप को विलुप्त होने के कगार से बचाने की परियोजना 1975 में शुरू की गई थी। हालांकि, 2001 और 2005 के बीच, लगभग सभी घड़ियालों के घोंसलों को खत्म कर दिया गया था। आदिवासियों द्वारा छापा मारा गया जो उन्हें एक स्वादिष्ट मानते हैं। लुटेरे मगरमच्छ भी गिरवा नदी में कम संख्या में देखे जाते हैं, क्योंकि उनके पसंदीदा शिकार अभयारण्य में कई ताल और बघर जैसे स्थिर आर्द्रभूमि हैं। अगल-बगल तैरते हुए घड़ियाल को गंगा डॉल्फ़िन को मस्ती करते हुए देखा जा सकता है। कतर्नियाघाट के हर्पेटोफौना में हाल की खोजें अत्यधिक आकर्षक हैं और कई प्रजातियों जैसे कि बैंडेड क्रेट, बर्मीज रॉक पायथन, पीले धब्बेदार भेड़िया-सांप और पैराडाइज फ्लाइंग स्नेक द्वारा दर्शाई गई हैं। [उद्धरण वांछित] 2012 में, एक दुर्लभ लाल मूंगा कुकरी अभयारण्य में सांप देखा गया था। वैज्ञानिक नाम ओलिगोडॉन खेरिएन्सिस वाले इस सांप को पहली बार 1936 में उत्तरी खीरी डिवीजन से वर्णित किया गया था। यह प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व वर्ष 2005 में संरक्षणवादियों द्वारा लिखा गया था, जब रमेश_के._पांडे ने अभयारण्य का प्रभार संभाला और चीजों को बदल दिया। चारों ओर और अपने बहुत ही प्रशंसनीय कार्य के साथ रिजर्व में निवास स्थान और बाघों की आबादी को पुनर्स्थापित किया।
शिक्षा
[संपादित करें]- किसान पी0 जी0 कॉलेज
- एकलव्य डिग्री काॅलेज (जरवल रोड)
- परमहंस डिग्री काॅलेज
- कलावती देवी स्मारक महाविद्यालय (तजवापुर)
- महाराज सिंह इण्टर काॅलेज (बहराइच)
- जवाहर नवोदय विद्यालय (बहराइच)
- आजाद इण्टर काॅलेज (बहराइच)
- गांधी इंटर कॉलेज (बहराइच)
- राजकीय इंटर कॉलेज (बहराइच)
- राजकीय कन्या इंटर कॉलेज (बहराइच)
- जय जवान जय किसान इण्टर काॅलेज (जरवल क़स्बा)
- किसान इण्टर काॅलेज
- प्रयाग दत्त पाठक इण्टर काॅलेज (रामगढ़ी)
- सरस्वती इंटर कालेज रिसिया
- संजय मेमोरियल इंटर कालेज सोहरवा
- श्यामा देवी इंटर कालेज(चंद्र्शेखर)रिसिया
- गायत्री विद्यापीठ स्नाकोत्तर महाविद्यालय रिसिया
- गायत्री विद्यापीठ इंटर कॉलेज रिसिया
- महिला पीजी कॉलेज बहराइच
- बलभद्र सिंह रैकवार महाविद्यालय बनकटा पयागपुर
- अशोक स्मारक महाविद्यालय अशोक नगर खुटेहना
- संजीवनी ग्रुप आफ इंस्टीटयूट बहराइच
- कौशलेंद्र विक्रम सिंह इंटर कॉलेज कोट बाजार पयागपुर
- रामनारायण इंटर कॉलेज खजुरी पयागपुर
जिला बहराइच में अस्पताल
[संपादित करें]- बहराइच जिला अस्पताल
- मिशन अस्पताल
- बहराइच ट्रामा सेंटर हॉस्पिटल
- मुस्तफा हॉस्पिटल (रिसिया बाज़ार)
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (रिसिया बाज़ार)
- इंडिया हास्पिटल बहराइच
- गाजी हास्पिटल रिसिया बाज़ार
- महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज बहराइच अस्पताल
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुरवा चौकी
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिहिन पुरवा
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुर
- बद्रीप्रसाद शुक्ल मेमोरियल हॉस्पिटल बहराइच
- सामुदायिक स्वास्थ केंद्र फखरपुर
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुस्तफाबाद
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पयागपुर
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुटेहना
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिलवरिया
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ "Census of India: Bahraich". www.censusindia.gov.in. अभिगमन तिथि 9 October 2019.
- ↑ "Bahraich District Population Census 2011 - 2021 - 2024, Uttar Pradesh literacy sex ratio and density". www.census2011.co.in. अभिगमन तिथि 2024-10-26.
- ↑ "बहराइच से जरवलरोड तक बिछे रेल लाइन" (Hindi में). 27 October 2018. मूल से 30 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 December 2018.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "नवरात्र में बहराइच से गोंडा के बीच चल सकती ट्रेन". Amar Ujala (Hindi में). 8 October 2018. मूल से 30 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 December 2018.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "Broad gauge rail line from Bahraich to Burhwal | Allahabad News - Times of India". The Times of India (अंग्रेज़ी में). 14 February 2009. मूल से 12 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 November 2019.