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सनातन

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सनातन और धर्म दो अलग शब्द है जिसका अर्थ एक ही जैसा है।

सनातन (सन् + आ + तन) अर्थात जो शरीर के भीतर उतारा जा सके। सनातन का एक अर्थ है शाश्वत अर्थात सदा रहने वाला जैसे सूर्य, वायु, पृथ्वी, अग्नि अर्थात ऊर्जा के स्रोत और सद्गुण। यही पांच वस्तु मात्र ही इस जगत में सनातन है।

धर्म संस्कृत शब्द "धृ" अर्थात धारण करना है। धारण शरीर के भीतर गुण अथवा अवगुण को किया जाता है। सद्गुणों का शरीर में धारण करना ही धर्म कहलाता है क्योंकि सद्गुण आचरण ही सनातन की रक्षा कर सकता है।

सार: जो गुण प्रकृति की रक्षा करे वहीं सनातन धर्म है।

ललित-लालित्य "अयाची"