बरनावा
वार्णावत | |||
— तहसील — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | उत्तर प्रदेश | ||
मण्डल | मेरठ | ||
ज़िला | बागपत जिला | ||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• 219 मीटर (719 फी॰) | ||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 29°06′37″N 77°25′40″E / 29.1103635°N 77.4277461°E बरनावा या वारणावत मेरठ से ३५ किलोमीटर दूर और सरधना से १७ कि.मी बागपत जिला में स्थित एक तहसील है। इसकी स्थापना राजा अहिबरन ने बहुत समय पूर्व की थी।[1] यहां महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है। लाक्षाग्रह नामक इमारत के अवशेष यहां आज एक टीले के रूप में दिखाई देते हैं। महाभारत में कौरव भाइयों ने पांडवों को इस महल में ठहराया था और फिर जलाकर मारने की योजना बनायी थी। किन्तु पांडवों के शुभचिंतकों ने उन्हें गुप्त रूप से सूचित कर दिया और वे निकल भागे। वे यहां से गुप्त सुरंग द्वारा निकले थे। ये सुरंग आज भी निकलती है, जो हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है। इतिहास अनुसार पांडव इसी सुरंग के रास्ते जलते महल से सुरक्षित बाहर निकल गए थे।[2] जनपद में बागपत व बरनावा तक पहुंचने वाली कृष्णा नदी का यहां हिंडन में मिलन होता है।[3]
उल्लेखनीय है कि पांडवों ने जो पाँच गाँव दुर्योधन से माँगे थे वह गाँव पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत, वरुपत (बरनावा) यानि पत नाम से जाने जाते हैं।[4] जब श्रीकृष्ण जी संधि का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास आए थे तो दुर्योधन ने कृष्ण का यह कहकर अपमान कर दिया था कि "युद्ध के बिना सुई की नोक के ब���ाबर भी जमीन नहीं मिलेगी।" इस अपमान की वजह से कृष्ण ने दुर्योधन के यहाँ खाना भी नहीं खाया था। वे गए थे महामुनि विदुर के आश्रम में। विदुर का आश्रम आज गंगा के उस पार बिजनौर जिले में पड़ता है। वहां पर विदुर जी ने कृष्ण को बथुवे का साग खिलाया था। आज भी इस क्षेत्र में बथुवा बहुतायत से उगता है।[2]
लाक्षागृह
महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है। लाक्षाग्रह नामक इमारत के अवशेष यहां आज एक टीले के रूप में दिखाई देते हैं। महाभारत में कौरव भाइयों ने पांडवों को इस महल में ठहराया था और फिर जलाकर मारने की योजना बनायी थी। किन्तु पांडवों के शुभचिंतकों ने उन्हें गुप्त रूप से सूचित कर दिया और वे निकल भागे। वे यहां से गुप्त सुरंग द्वारा निकले थे। ये सुरंग आज भी निकलती है, जो हिंडन नदी के किनारे पर खुलती है। इतिहास अनुसार पांडव इसी सुरंग के रास्ते जलते महल से सुरक्षित बाहर निकल गए थे।[2]
चित्र दीर्घा
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गुफ़ा के अंदर
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लाक्षागृह की गुफा
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लगा एक शिलालेख
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टीले से आती लंबी सीढ़ियां
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स्थल का प्रवेशद्वार
आवागमन
बरनावा जाने के लिए मेरठ से शामली रोड होते हुए बरनावा रोड द्वारा रास्ता है। यहां के लिये उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें चलती हैं।
सन्दर्भ
- ↑ "बरनावा". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जनवरी 2010.
- ↑ अ आ इ मेरठ में है हस्तिनापुर Archived 2012-03-29 at the वेबैक मशीन। मुसाफ़िर हूं यारों। १६ दिसम्बर २००८। नीरज जाट जी
- ↑ नदियां बनी जहर Archived 2010-12-07 at the वेबैक मशीन|इंडिया वॉटर पोर्टल
- ↑ "कैराना". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जनवरी 2010.