झंडेवालान् मंदिर, नई दिल्ली
झंडेवालान् मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | Jhandewalan metro station North Delhi |
ज़िला | north |
राज्य | दिल्ली |
देश | भारत |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | Hindu temple architecture |
वेबसाइट | |
https://jhandewalamandir.org/ |
झंडेवालान् मंदिर, भारत की राजधानी महानगर दिल्ली का करोलबाग इलाके मे एक हिन्दू मंदिर है। १८ वी सदी का एक पुराने मंदिर इसी जगह पर स्थित रहा था। इसी जगह पर खुदाई के बाद शक्ति देवी का प्राचीन मूर्ति यही मिली थी। इसी को एक मंदिर बना कर नई मूर्ति के साथ स्थापित किया हुआ है ओर रीति के अनुसार यहाँ पुजा अर्चना होती है। .[1]
इतिहास और लोक कथा
[संपादित करें]१८ शताब्दी तक यह स्थान घने जंगल से भरा हुआ था। अरावाली पर्वत रेंज से लंबे हुए जंगल यहाँ तक लगा हुआ था। लोक कथा के अनुसार दिल्ली के चांदनी चौक इलाके के एक धर्मप्राण व्यक्ति बद्रि दास ने स्वप्नादेश [2][3]पाया की यहाँ के झरना के नीचे एक प्राचीन मंदिर था। खुदाई करने से यहां एक प्राचीन मंदिर मिला और शक्ति देवी का एक मूर्ति भी मिला। खुदाई के समय इसी मूर्ति का एक हाथ टूट गया था। सज्जन बद्रि दास ने इसी जगह पर एक मंदिर बनवाया और मूर्ति के टूटे हुए हाथ मे चाँदी के हाथ लगाकर उसे गुंफा मे स्थापित किया और ऊपर बने हुए मंदिर में नई मूर्ति बनाकर दोनों जगह में पूजा अर्चना का व्यवस्था की।
मंदिर के ऊपर एक बहुत ऊंचे झंडे[4] लगाया गया था , जो दूर दराज से भी दिखाई देते है। इसी कारण मंदिर का नाम "झंडेवाले" मंदिर रहा था। ऊपर मंदिर प्रांगण मे शिव लिंग भी स्थापित किया गया है। पुरानी देवी मूर्ति को "गुंफा वाली माँ" कहा जाता है।। [5]
इसी मंदिर में दुर्गापूजा और नवरात्रि बहुत शान के साथ पालन किया जाता है। उत्सव के समय यहाँ बहुत भक्तों का आगमन होता है। [6]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Jhandewalan Temple". The Divine India. मूल से 26 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 March 2014.
- ↑ झंडेवाला मंदिर का इतिहास 18वी सदी के उत्तरार्ध से प्रारंभ होता है। आज जिस स्थान पर मंदिर स्थित है उस समय यहां पर अरावली पर्वत श्रॄंखला की हरी भरी पहाडियाँ, घने वन और कलकल करते चश्में बहते थे। अनेक पशु पक्षियों का यह बसेरा था। इस शांत और रमणीय स्थान पर आसपास के निवासी सैर करने आया करते थे। ऐसे ही लोगों में चांदनी चौक के एक प्रसिद्ध कपडा व्यपारी श्री बद्री दास भी थे। श्री बद्री दास धाार्मिक वॄत्ति के व्यक्ति थे और वैष्णो देवी के भक़्त थे। वे नियमित रूप से इस पहाडी स्थान पर सैर करने आते थे और ध्यान में लीन हो जाते थे। एक बार ध्यान में लीन श्री बद्री दास को ऐसी अनुभूति हुई कि वही निकट ही एक चश्में के पास स्थित एक गुफा में कोई प्राचीन मंदिर दबा हुआ है। पुनः एक दिन सपने में इसी क्षेत्र में उन्हें एक मंदिर दिखाई पडा और उन्हें लगा की कोई अदृश्य शक्ति उन्हें इस मंदिर को खोज निकालने के लिए प्रेरित कर रही है। इस अनोखी अनुभूति के बाद श्री बद्री दास ने उस स्थान को खोजने में ध्यान लगा दिया और एक दिन स्वप्न में दिखाई दिए झरने के पास खुदाई करते समय गहरी गुफा में एक मूर्ति दिखाई दी। यह एक देवी की मूर्ति थी परंतु खुदाई में मूर्ति के हाथ खंडित हो गए इसलिए उन्होंने खुदाई में प्राप्त मूर्ति को उस के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए उसी स्थान पर रहने दिया और ठीक उसके ऊपर देवी की एक नयी मूार्ति स्थापित कर उसकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करवायी
- ↑ http://jhandewalamandir.com/OurHistory.aspx
- ↑ इस अवसर पर मंदिर के ऊपर एक बहुत बडा ध्वज लगाया गया जो पहाडी पर स्थित होने के कारण दूर - दूर तक दिखाई देता था जिसके कारण कालान्तर में यह मंदिर झंडेवाला मंदिर के नाम से विख्यात हो गया।
- ↑ खुदाई में प्राप्त मूार्ति जिस स्थान पर स्थापित है वह स्थान गुफा वाली माता के नाम से विख्यात हो गया। गुफा वाली देवी जी के खंडित हाथों के स्थान पर चांदी के हाथ लगाये गये और इस मूर्ति की पूजा भी पूर्ण विधि विधान से की जाने लगी। वही पर खुदाई में प्राप्त एक चटटान के ऊपर बने शिवलिंग को भी स्थापित किया गया है जिस पर नाग - नागिन का जोडा उकेरा हुआ है। यह प्राचीन गुफा वाली माता और शिवलिंग भी भक़्तों की श्रद्धा का केंद्र है। इसी गुफा में जगाई गई ज्योतियाँ भी लगभग आठ दशकों से अखंड रूप में जल रही
- ↑ Jhandewalan Mandir Aarti Timings in Navratri is at 4 AM and 7 PM.