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यन्त्रोपारोपितकोशांशः

कल्पद्रुमः

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


पा, पाने । इति कविकल्पद्रुमः ॥ (भ्वां-परं-सकं- अनिट् ।) अस्यैव पिबादेशः । पिबति पयः पान्थः । इति दुर्गादासः ॥

पा, ल रक्षणे । इति कविकल्पद्रुमः ॥ (अदां- परं-सकं-अनिट् ।) ल, पाति । इति दुर्गा- दासः ॥

पाः, त्रि, (पिबतीति । पा पाने + क्विप् ।) पान- कर्त्ता ॥ (पाति रक्षतीति । पा रक्षणे + क्विप् ।) रक्षणकर्त्ता । (“विश्वं पातीति विश्वपाः ।” इति मुग्धबोधव्याकरणम् ॥)

वाचस्पत्यम्

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


पा¦ रक्षणे अदा॰ पर॰ सक॰ सेट्। पाति अपासीत् पपौ। पायात् णिच् पालयति अपीपलत्। पालनम् पालकः

शब्दसागरः

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


पा¦ r. 1st. cl. (पिवति) To drink. r. 2nd. cl. (पाति) To cherish, to nourish, to protect or preserve. पाने, भ्वा-पर-सक-अनिट् | रक्षणे, अदा-पर-सक-सेट् |

पा¦ mfn. (पाः-पाः-पं)
1. Who drinks.
2. Who protects or cherishes.
3. To feast on, (with the eyes or ears.)
4. To absorb, to swallow up, to destroy. E. पा to drink, &c. क्विप् aff.

Apte

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


पा [pā], I. 1 P. (पिबति, पीत; pass. पीयते)

To drink, quaff; पिब स्तन्यं पोत Bv.1.6; दुःशासनस्य रुधिरं न पिबाम्युरस्तः Ve.1.15; R.3.54; Ku.3.36; Māl.8.5; Bk.14.92; 15.6.

To kiss; पिबत्यसौ पाययते च सिन्धूः R.13.9; Ś. 1.23.

To drink in, inhale; पिबन् यशो मूर्तमिवाबभासे R. 7.63.

To drink in (with the eyes or ears); feast on, look at or listen to intently; समदुःखः पीयते नयनाभ्याम् V.1; निवातपद्मस्तिमितेन चक्षुषा नृपस्य कान्तं पिबतः सुताननम् R.3.17; 2.19,93;11.36;13.3; Me.16; Ku.7.

To absorb, drink or swallow up; (बाणैः) आयुर्देहातिगैः पीतं रुधिरं तु पतत्रिभिः R.12.48.

To drink intoxicating liquors. -Caus. (पाययति-ते)

To cause to drink, give to drink; अनन्यसामान्यकलत्रवृत्तिः पिबत्यसौ पाययते च सिन्धूः R.13.9; Bk.8.41,62.

To water. -Desid. (पिपासति) To wish to drink &c.; हालाहलं खलु पिपासति कौतुकेन Bv. 1.95. -II.2 P. (पाति, पात)

To protect, guard, keep, defend, preserve; (oft. with abl.); पर्याप्तो$सि प्रजाः पातुम् R.1.25; पान्तु त्वां......भूतेशस्य भुजङ्गवल्लिवलयस्रङ्नद्धजूटा जटाः Māl.1.2; जीवन् पुनः शश्वदुपप्लवेभ्यः प्रजाः प्रजानाथ पितेव पासि R.2.48.

To rule, govern; पान्तु पृथ्वीं...भूपाः Mk.1. 61.

To beware of.

Ved. To observe, notice.

To keep, observe, tend, take notice of. -Caus. (पालयति- ते)

To protect, guard, keep, preserve; कथं दुष्ठुः स्वयं धर्मे प्रजास्त्वं पालयिष्यसि Bk.6.132; Ms.9.18; R.9.2.

To rule, govern; तां पुरीं पालयामास Rām.

To observe, keep, adhere to, fulfil (as a vow or promise); पालितसङ्गराय R.13.65.

To bring up, nourish, maintain.

To wait for; अत्रोपविश्य मुहूर्तमार्यः पालयतु कृष्णागम- नम् Ve.1.

पा [pā], a. (At the end of comp.)

Drinking, quaffing; as in सोमपाः, अग्रेपाः &c.

Protecting, guarding, keeping; गोपा.

Monier-Williams

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


पा f. guarding , protecting L.

पा f. = पूतand पूरितक.

पा cl.1 P. ( Dha1tup. xxii , 27 ) पिबति(Ved. and ep. also A1. ते; rarely पिपति, तेKa1t2h. Br. ) cl.2. पाति, पाथस्, पान्तिRV. AV. ; p. A1. पपानRV. , पिपानAV. ( pf. P. पपौ, 2. sg. पपाथRV. ; पपिथPa1n2. 6-4 , 64 Sch. ; पपीयात्RV. ; p. पपिवस्AV. ; A1. पपे, पपिरेRV. ; p. पपानib. ; aor. or impf. अपात्RV. [ cf. Pa1n2. 2-4 , 77 ] ; 3. pl. अपुः[?] RV. i , 164 , 7 ; -पास्तAV. xii , 3 , 43 ; Prec. 3. sg. पेयास्RV. ; fut. पास्यति, तेBr. etc. ; पाताGr. ; ind.p. पीत्वाRV. etc. , त्वीRV. ; -पायAV. etc. ; -पीयMBh. ; पायम्Ka1vya7d. ; inf. पिबध्यैRV. ; पातुम्MBh. etc. ; पातवेAV. Br. ; पातवईRV. ) , to drink , quaff , suck , sip , swallow (with acc. , rarely gen. ) RV. etc. ; (met.) to imbibe , draw in , appropriate , enjoy , feast upon (with the eyes , ears etc. ) Mn. MBh. Ka1v. etc. ; to drink up , exhaust , absorb BhP. Pan5c. ; to drink intoxicating liquors Buddh. : Pass. पीयतेAV. etc. etc. : Caus. पाययति, ते( pf. पाययाम् आसाMBh. ; aor. अपीप्यत्Pa1n2. 7-4 , 4 ; ind.p. पाययित्वाMBh. ; inf. पाययितवैS3Br. ) , to cause to drink , give to drink , water (horses or cattle) RV. etc. etc. : Desid. पिपासति( RV. also पिपीषति) , to wish to drink , thirst ib. : Desid. of Caus. पिपाययिषति, to wish or intend to give to drink Ka1t2h. : Intens. पेपीयते( p. यमानalso with pass meaning) , to drink greedily or repeatedly Up. Hariv. [ cf. Gk. ?-?-? ; Aeol. ?-? = ? ; Lat. pa1-tus , po1tum , bibo for pi-bo ; Slav. pi-ja , pi-ti]

पा mfn. drinking , quaffing etc. (See. अग्रे-, ऋतु-, मधु-, सोम-etc. )

पा cl.2 P. ( Dha1t. xxiv , 48 ) पाति( Impv. पाहि; pr. p. P. पात्A1. पानRV. ; pf. पपौGr. ; aor. अपासीत्Ra1jat. Subj. पासतिRV. ; fut. पास्यति, पाताGr. ; Prec. पायात्Pa1n2. 6-4 , 68 Sch. ; inf. पातुम्MBh. ) , to watch , keep , preserve; to protect from , defend against( abl. ) RV. etc. ; to protect (a country) i.e. rule , govern Ra1jat. ; to observe , notice , attend to , follow RV. AitBr. : Caus. पालयतिSee. पाल्: Desid. पीपासतिGr. : Intens. पापायते, पापेति, पापातिib. , [ cf. Zd. pa1 , paiti ; Gk. ? , ? , ? , etc. ; Lat. pa-sco , pa-bulum ; Lith. pe0-mu4]

पा mfn. keeping , protecting , guarding etc. (ef. अपा-न-, रिता-, गो-, तनू-etc. )

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