हितोपदेश
हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षाप्रद बात से ही हुई है। पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं।
हितोपदेश, पञ्चतन्त्र की ही पद्धति पर लिखा गया है। बल्कि इसकी कुल ४३ कथाओं में से २५ कथायें 'पञ्चतन्त्र' से ली गई हैं। इस सत्य की स्वयं ग्रन्थकार ने प्रस्तावना भाग में स्वीकार किया है। दोनों में सिर्फ इतना अन्तर है कि हितोपदेश में पञ्चतन्त्र की अपेक्षा, श्लोक अधिक हैं। इनमें से कुछ श्लोक 'कामन्दकीय नीतिसार' में मिलते हैं।
रचयिता
[संपादित करें]हितोपदेश के रचयिता नारायण पण्डित हैं। पुस्तक के अंतिम पद्यों के आधार पर इसके रचयिता का नाम "नारायण" ज्ञात होता है।
- नारायणेन प्रचरतु रचितः संग्रहोऽयं कथानाम्
नारायण ने पंचतन्त्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की मदद से हितोपदेश नामक इस ग्रंथ का सृजन किया। स्वयं नारायण जी ने स्वीकार किया है--
- पञ्चतन्त्रान्तथाडन्यस्माद् ग्रन्थादाकृष्य लिख्यते।
इसके आश्रयदाता का नाम धवलचंद्र है। धवलचंद्रजी बंगाल के माण्डलिक राजा थे तथा नारायण पण्डित राजा धवलचंद्रजी के राजकवि थे। मंगलाचरण तथा समाप्ति श्लोक से नारायण की शिव में विशेष आस्था प्रकट होती है।
रचना काल
[संपादित करें]नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान है। विभिन्न उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी के आस-पास निर्धारित की जाती है। हितोपदेश की रचना का आधार पंचतन्त्र ही है।
कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डा. फ्लीट कर मानना है कि इसकी रचना काल ११ वीं शताब्दी के आस-पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख १३७३ ई. का प्राप्त है। वाचस्पति गैरोला जी ने इसका रचनाकाल १४ वीं शती के आसपास माना है।
हितोपदेश की कथाओं में अर्बुदाचल (आबू), पाटलिपुत्र, उज्जयिनी, मालवा, हस्तिनापुर, कान्यकुब्ज (कन्नौज), वाराणसी, मगधदेश, कलिंगदेश आदि स्थानों का उल्लेख है, जिसमें रचयिता तथा रचना की उद्गमभूमि इन्हीं स्थानों से प्रभावित है।
हितोपदेश के चार भाग
[संपादित करें]हितोपदेश की कथाओं को इन चार भागों में विभक्त किया जाता है --
- मित्रलाभ
- सुहृद्भेद
- विग्रह
- सानू ❤
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कडियाँ
[संपादित करें]- हितोपदेशम् (संस्कृत में) (wikisource)
- हितोपदेश - इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र
- इ॰ अर्नाल्ड द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित हितोपदेश
- हितोपदेश की कुछ कहानियोँ कथा-काव्य शैली में
- हितोपदेश का दूसरा, तीसरा और चौथा भाग (अंग्रेजी अनुवाद सहित; अनुवादक - फ्रेडरिक मैक्स मूलर)
- हितोपदेश (गूगल पुस्तक ; लेखक - अशोक कौशिक)
- कालजयी हैं हितोपदेश की कहानियाँ
- हितोपदेश (हिन्दी में) डाउनलोड करें।
- हितोपदेश चातुर्य सूत्र (हितोपदेश के श्लोक तथाउनका हिन्दी में अर्थ)