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अकृतक त्रैलोक्य

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चित्र:Akrutaklok.JPG
सभी अकृतक लोकों की स्थिति।

हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार जन, तप और सत्य लोक – तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं।

अकृतक लोक

ध्रुवलोक से एक करोड़ योजन ऊपर महर्लोक है।

महर्लोक से बीस करोड़ योजन ऊपर जनलोक है।

जनलोक से आठ करोड़ योजन ऊपर तपलोक है।

तपलोक से बारह करोड़ योजन ऊपर सत्यलोक है। जन, तप और सत्य लोक – तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं। महर्लोक कृतक और अकृतक लोकों के मध्य में है और कल्पान्त में यह केवल जनशून्य हो जाता है, नष्ट नहीं होता है। इसलिये इसे कृतकाकृतक लोक कहते हैं।

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कृतक त्रैलोक्य

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